Demand and supply in Stock Market in Hindi
मित्र,
यदि आप मुझे फॉलो करते हैं तो इस प्रश्न का उत्तर बेहतर जानते होंगे क्योंकि अपने पोस्ट में मैंने वॉल्यूम विश्लेषण से जुड़ी एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात शेयर किया था। जिसे सामन्यतः आपको बाजार में कोई भी बड़ा चैनल नहीं बताता है।
चलिए इस उत्तर में भी उस पहलू को संक्षिप्त में रखते हैं।
उत्तर तक पहुचने से पहले एक बात बताएं कि यह आपको कैसे पता कि buyers ज्यादे हैं ?
शायद निम्नलिखित में से किसी एक कारण से ।
1)स्टॉक इन्फो:
जिसमें सबसे आखिरी में गौर करें तो पाते हैं कि खरीदारी साइड की टोटल कितने पोजीशन बने हैं।
2)वॉल्यूम इंडिकेटर से:
जब भी बड़ी ग्रीन कैंडल बने तो हमें ऐसा लगता है कि खरीदार ज्यादे हैं।
सही है ???
चलिए अब यदि मैं आपसे यह कहूँ की यह दोनों ही विश्लेषण एक रिटेल ट्रेडर सौ फीसदी गलत करेंगे तो ?
आप कहेंगे.. ऐसा भी होता है भला।
जी बिल्कुल ऐसा ही होता है। अब मैं कारण सहित दोनों पॉइंट्स में होनेवाली गलतियों को बताता हूँ।
1)स्टॉक इन्फो:
आपने कभी गौर किया जब हम इसे अपने डिमैट में ओपन करते हैं तो वहां सिर्फ हमें खरीदार या बिकवाली के 20 कॉलम दिखते हैं। हां लेकिन आखिरी में दिख रहा टोटल सही होता है। जो हमारे सामने दिखने वाले और न दिखने वाले सभी कॉलम को जोड़कर बना होता है।
अब इसको विश्लेषित करते वक्त सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि किस प्राइस पर कितनी बिड लगी है यह हमें पूरा नहीं दिख पाता। हम सिर्फ नजदीक वाले 20 प्राइस पर चल रहे बिड को ही देख पाते हैं।
एक बेहतर विश्लेषण के लिए टोटल के स्थान पर किस प्राइस पर कितनी बिड लगी है का डेटा होना आवश्यक है।
2)वॉल्यूम इंडिकेटर की मदद से:
ज्यादेतर लोग वॉल्यूम चार्ट पर बन रहे ग्रीन कैंडल से सोचते हैं कि खरीदारी ज्यादे हो रहा है और वहीं दूसरी ओर बनी रेड कैंडल से यह मानते हैं की सेलर ज्यादे है।
जोकि पूर्णतया गलत है। यह जरूरी नही है कि चार्ट पर बने बड़ी ग्रीन वॉल्यूम कैंडल में सिर्फ खरीदार ही है। और दूसरा सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वॉल्यूम इंडिकेटर बाजार में बने एक्चुअल पोजीशन को कंसीडर करने की जगह सिर्फ डिस्क्लोज़ डेटा को फॉलो करता है ।।
यदि आप बाजार में हैं तो एक्चुअल क्वांटिटी और डिस्क्लोज़ क्वांटिटी में अंतर समझ सकते हैं।
उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।
धन्यवाद