शेयर बाज़ार में ऑप्शन खरीदने के बजाय ऑप्शन बेचने वाले प्रॉफिट में क्यों रहते है?

Buying vs. Selling Options: Which Is much profitable:

मित्र,

प्रश्न देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि आप ऑप्शन कांसेप्ट से वाकिफ नहीं हैं या फिर कभी एक ऑप्शन सेलर के नुकसान को आपने नहीं देखा है।

क्योंकि यदि आप इन दोनों ही चीजो से वाकिफ होते तो निश्चितरूपेंन प्रश्न यह नहीं होता।

चलिये इसे आसान शब्द में समझने का प्रयास करते हैं।

मान लीजिए किसी निफ़्टी स्ट्राइक प्राइस का प्रीमियम 100 रुपये है। अब यहां एक खरीदार और एक बिकवाली करने वाले का उदाहरण लेते हैं।

खरीदार:

यदि कोई व्यक्ति ऑप्शन खरीदार है तो उसे इस स्ट्राइक को खरीदने में कुल 70*100= 7500 रुपये का निवेश लगेगा।

अब यहां दो चीजें संभव है।

1)प्राइस सोचे तरह से बढ़ गया:

अब 100 से बढ़ने के क्रम में यह कितना बढ़ेगा..इसकी लिमिट नहीं है। इसलिए कहा जाता है कि बाजार में ऑप्शन खरीदार हमेशा अनलिमिटेड प्रॉफिट ऑप्शन के साथ काम करता हैं।

2)प्राइस बढ़ा/घटा नहीं। या फिर गिर गया:

इस दोनो ही कंडीशन में एक खरीदार को मैक्सिमम खरीदे पैसे का नुकसान होता है। अर्थात 7500

बिकवाली:

यदि कोई व्यक्ति ऑप्शन बिकवाली करता है तो उसे इस स्ट्राइक को बेचने में करीब 80 हजार से 1.5 लाख रुपये का निवेश लगेगा।

अब यहां दो चीजें संभव है।

1)प्राइस सोचे तरह से गिर गया:

अब 100 से गिरने के क्रम में यह मैक्सिमम गिरकर शून्य के आसपास आ जायेगा। अर्थात एक सेलर को इस ट्रेड में मैक्सिमम प्रॉफिट 7500 रुपये। इसलिए कहा जाता है कि बाजार में ऑप्शन बेचने वाला हमेशा लिमिटेड प्रॉफिट ऑप्शन के साथ काम करता हैं।

2)प्राइस बढ़ा/घटा नहीं।

इस कंडीशन में भी एक बिकवाली करने वाला गले प्रीमियम के फायदे में रहेगा। जिसे हम मैक्सिमम में कहें तो 7500 रुपया।

3)प्राइस गिरने की जगह बढ़ गया:

अब इस कंडीशन में एक ऑप्शन सेलर अनलिमिटेड नुकसान की स्थिति में आ जाता है। क्योंकि प्रीमियम के 100 से ऊपर बढ़ने की कोई लिमिट नहीं है।

यदि इस पूरे उद्धरण को देखें तो पाएंगे कि एक ऑप्शन सेलर के हमेशा बाजार में अनलिमिटेड रिस्क और लिमिटिड प्रॉफिट के विकल्प के साथ काम करता है तो वहीं दूसरी ओर एक ऑप्शन बायर हमेशा लिमिटिड रिस्क और अनलिमिटेड प्रॉफिट के साथ काम करता है।

दोनो के बीच मे एकमात्र अंतर है कि एक ऑप्शन सेलर बाजार के दो मूवमेंट(उसके फेवर और sideways) में फायदे में रहते हैं तो वहीं एक ऑप्शन बायर सिर्फ analyze ट्रेंड मूवमेंट में फायदे में रहता है।

उम्मीद है पोस्ट आपके लिए उपयोगी होगा।

धन्यवाद

About the Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like these