Why most people lose money in stock market?
मित्र,
इसका एकमात्र कारण है कि ट्रेडर प्रॉफिट में जल्दी और नुकसान में देर से निकलते हैं।
इस बाजार में ट्रेडर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि वह ऐसी जगह डरते हैं जहां उनके अंदर कॉन्फिडेंस आना चाहिए और ऐसी जगह कॉन्फिडेंस में आ जाते हैं जहां उन्हें डरना चाहिए।
जैसे उदाहरण के लिए:
मान लीजिए एक ट्रेडर किसी स्टॉक को 700 के मूल्य पर खरीदता है। और टेक्निकल के अनुसार वह लक्ष्य 707 और स्टॉप लॉस 696 का तय करता है।
ट्रेड लेने के बाद वही ट्रेडर जैसे ही मूल्य बढ़कर 703 जाए तो डर उसके अंदर आना शुरू हो जाता है कि शायद जो प्रॉफिट आ रहा है वो भी न मिले। और इस वजह से वह ट्रेड को 3-4 रुपये के प्रॉफिट में बेचकर बाहर हो जाता है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर यदि स्टॉक का मूल्य घटकर 695 आ जाये तो भी उनके अंदर कॉन्फिडेंस बना रहता है कि अब प्राइस यहां से बढ़कर 700 आ जायेगा और वह पोजीशन को एग्जिट नहीं करते हैं। फिर यदि प्राइस गिरकर यदि 690 भी आ जाये तो भी वह वही सोचकर एग्जिट नहीं करते कि प्राइस वापिस 700 तो आ ही जायेगा।
कुछ ट्रेडर तो प्राइस वापिस आ जायेगा सिर्फ यह सोचकर बेचने की जगह और क्वांटिटी खरीदते हैं।
गौर करने वाली बात है कि जब एकाउंट ग्रीन में है तो कॉन्फिडेंस जोन में रहने की बजाय डर का घर करना और नुकसान में बढ़े कॉन्फिडेंस प्रॉफिट में 3 रुपये और नुकसान में 10 रुपये या उससे भी अधिक दे देता है।
जिसकी वजह से 15-16 ट्रेड की प्रॉफिट 4-5 नुकसान में बराबर हो जाता है।
अब प्रश्न आता है कि ऐसे में क्या करें?
मित्र बाजार का सिस्टम हमसे कहता है कि ट्रेड लेने से लेकर ट्रेड खत्म होने तक चार्ट्स को फॉलो करें। दिल मे चल रहे एक्स्ट्रा उतार चढ़ाव को यदि ट्रेड में सम्मलित न करें तो बाकी चीजें अपने आप सही हो जाएगा।
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