शेयर मार्केट में कंपाउंडिंग कैसे होती है?

What is compounding in the stock market?

मित्र,

सबसे पहले कंपाउंडिंग को समझना आवश्यक है। सरल भाषा मे यदि इसे डिफाइन करें तो निवेश किये रुपये पर आने वाले रिटर्न्स पर भी समय के साथ रिटर्न्स मिलना कंपाउंडिंग कहलाता है।

जैसे उदाहरण के लिए:

राजू ने किसी व्यक्ति को 1 लाख रुपये 5 फीसदी मासिक इंट्रेस्ट पर देता है। वह व्यक्ति उसे 1 साल बाद ब्याज समेत सारे रुपये वापिस करता है।

अब यहां दो तरह का ब्याज लग सकता है।

नार्मल ब्याज: जिसमें 5 फीसदी मासिक के अनुसार साल का 60 फीसदी इंट्रेस्ट।

इसके अनुसार वह व्यक्ति राजू को एक साल बाद 1 लाख के बदले 1.60 लाख रुपये देगा।

2)चक्रवृद्धि ब्याज:

इसके अनुसार उस व्यक्ति को मासिक इंटरेस्ट pay करना होगा। जिसके अनुसार पहले महीने का इंटेरेस्ट 5000 रुपये। अतः अब अगले महीने उस व्यक्ति को अब 1 लाख 5 हजार रुपये पर इंटरेस्ट देना होगा।

इसके अनुसार कंपाउंड रिटर्न्स देखें तो।

कंपाउंड रिटर्न्स :

P= 1,00,000

R= 0.05%

N=1

T=12

1,00,000(1+0.05/1)^12 = 179585.63 रुपये

यानी यदि पैसे पर कंपाउंडिंग नहीं होता तो 1 साल में 1 लाख पर 60 हजार का रिटर्न्स था। वहीं यदि मासिक कंपाउंडिंग लगे तो 1 साल में 79585 रुपये का रिटर्न्स होता।

शेयर बाजार के टर्म्स में हुए प्रॉफिट को वापिस मूल निवेश के साथ निवेश करके कंपाउंडिंग किया जा सकता है ।

नहीं तो कंपाउंडिंग का लाभ उठाने के लिए सबसे बेहतर ऑप्शन है SIP।

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